छठे दिन एक और दिव्यांग की हालत बिगड़ी

 


छठे दिन एक और दिव्यांग की हालत बिगड़ी


नई दिल्ली। 'अब तो आस टूटने लगी है भैया। पता नहीं कोई हमारी सुध लेगा भी या नहीं? जैसे ही दिन छिपता है ठंड बढ़ जाती है। रात का एक-एक मिनट काटना भारी होता है। सुबह जब हम उठते हैं तो ओस से हमारे कंबल पूरी तरह गीले होते हैं...।' यह बताते-बताते एक दिव्यांग युवक की आंखों से आंसू छलकने लगे। उसने बताया कि रोजाना कोई न कोई साथी बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहा है, लेकिन कोई उनका हाल तक लेने नहीं आया है। मंडी हाउस पर छह दिनों से धरने और भूख हड़ताल पर बैठे दिव्यांग अब निराश होने लगे हैं। रविवार को बातचीत के दौरान कई दिव्यांग अपने आंसुओं के सैलाब को रोक नहीं पाए।


 

अपनी नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर मंडी हाउस में अनशन पर बैठे दिव्यांगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। रविवार को छठे दिन दिव्यांगों के एक सहयोगी मंगल की तबियत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया। समूह में शामिल मनीष ने बताया कि मंगल को राममनोहर लोहिया अस्पताल लेकर गए। आरोप है कि दो घंटे तक अस्पताल में इलाज नहीं होने पर मंगल को निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे ड्रिप लगा दिया गया। इलाज होने के बाद वह ड्रिप लगाकर वापस धरनास्थल पर पहुंच गया। हालात ऐसे हैं कि ड्रिप भी पुलिस के बैरिकेड पर टांगी गई है।
दिव्यांगों का कहना है कि उनके लिए रात गुजारना काफी कठिन हो रहा है। खुले आसमान के नीचे सोने की वजह से उनके कंबल पूरी तरह गीले हो जाते हैं, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ है और वह इसी तरह अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे।